पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/४९

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( 8 ) उन्होंने ही की है। यह सिक्खों का धर्म ग्रंथ है, और अब तक करतार पुर में मौजूद है । गुरु तेग बहादुरने औरंगजेब को हिन्दी ही में संसार की असारता का उपदेश दिया था। सिक्ख सम्प्रदाय में हिन्दी का सब से अधिक सम्मान गुरु गोविन्द सिंह के समय में हुआ । गुरु गोबिन्द सिंह का वर्णन कविता - कौमुदी में आ गया है । ये स्वयं हिन्दी के अच्छे कवि थे । हिन्दी में शिक्षा देने के लिये इन्होंने कई पाठशालायें खोली थीं । इनके सिवा भाई सन्तोष सिंह ने भी हिन्दी का बहुत कुछ हित साधन किया है। ये सिक्खों में हिन्दी के महाकवि कहे जाते हैं । इनके रचे सूर्य प्रकाश " नामक ग्रंथ को सिक्ख लोग बड़े चाव से पढ़ते हैं । काशी में शिक्षा प्राप्त करने के लिये गुरु गोविन्द सिंह के भेजे हुये संत गुलाब सिंह ने भी हिन्दी की बड़ी सेवा की है। इनके लिखे हुये चार ग्रंथ आजकल उपलब्ध होते हैं । सब हिन्दी में हैं, और वेदान्त प्रेमी सिक्खों में उनका बड़ा आदर है । वर्तमान काल में भी सिक्ख सम्प्रदाय में ज्ञानी ज्ञान सिंह द्वारा हिन्दी का अच्छा प्रचार हो रहा है। इन्होंने हिन्दी कविता में " प्रथ प्रकाश " नामक ग्रंथ की रचना की है । हिन्दी और गुजराती गुजराती का हिन्दी के साथ बहुत निकट का, सम्बन्ध है। अच्छी हिन्दी जानने वाला थोड़े ही परिश्रम से गुजराती 'सीख सकता है।