पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/५४

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( ५३ ) शबाने हिजरौँ दराज़ खू जुल्फ़ी रोज़े बसलत चु उम्र कोतह । सखी पिया को जो मैं न देखू तो कैसे का अंधेरी रतियाँ ॥ इसमें जितना अंश हिन्दी में कहा गया है, वह कितना सरल हैं, सुनते ही समझ में आ जाता है। खुशरो के नाम से बहुत सी पहेलियाँ प्रचलित हैं, वे भी ऐसी सरल हैं, कि . बच्चों तक की समझ में आ जाती हैं। खुशरो के सिवाय और भी बहुत से मुसलमान कवियों ने हिन्दी में कविता की हैं। उनमें से कुछ के नाम नीचे लिखे जाते हैं। साथ ही यह भी लिख दिया जाता है कि उनके रचे हुये कौन कौन से ग्रन्थ उपलब्ध हैं । कवि १- अकबर ग्रन्थ फुटकर कविताएँ २ - कादिर मश ३ - अब्दुर्रहीम खानखाना "" ४- उसमान "" 39 कविता-कौमुदी " में वर्णन देखिये । क० कौ० में देखिये, ५- मलिक मुहम्मद जायसी ६ -- सैयद इब्राहीम ( रसखान ) ७—- मुबारक ८ - अहमद ६- बहाव १०- ११ - जलील - अब्दुर्रहमान १२- याकूब खाँ 12 "" 59 33 " वेदान्त कविता बारह माला यमक शतक फुटकर रसिकप्रिया की टीका