पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/५५

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कfa १३- जुल्फिकार १४- अनवर खाँ ( ५४ ) ग्रन्थ सतसई की टीका अनवर चंद्रिका १५ – प्रेमी यमन १६- आजम १७- - सैयद गुलाब नबी १८ - तालिब अली १६- नबी २०- आलम अनेकार्थ नाम माला नखशिख रसप्रबोध, अङ्ग दर्पण नखशिख फुटकर क० कौ० देखिये किसी किसी मुसलमान कषि ने तो हिन्दी में ऐसी अच्छी कविता की हैं, कि उसके एक एक पद पर कितने ही हिन्दू कवियों की कविता न्योछावर कर दी जा सकती है । अंत में बड़े साहस और संतोष के साथ हम यह कह सकते हैं कि पिछले सहृदय मुसलमान बादशाहों और कवियों ने हिन्दी की जो सेवा की है वह कभी न कभी अवश्य हिन्दू मुसलमानों के भाषा विषयक विरोध को दूर करने में समर्थ होगी । रामनरेश त्रिपाठी नोट- हिन्दी भाषा का संक्षिप्त इतिहास अभी समाप्त नहीं हुआ है । कविता कौमुदी के दूसरे भाग में हिन्दी कविता, हिन्दी और उर्दू तथा हिन्दी की वर्तमान दशा पर लिखा जायगा । लेखक