पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/५८

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चन्दबरदाई। ३ लिखकर चंद अपने घर आया और उसे जल्द को दकर वह गजनी गया । वहाँ गोरी को प्रसन्न करके वह पृथ्वीराज से मिला । उसने कौशल से पृथ्वीराज के हाथ से शहाबुद्दीन को मरवा डाला | फिर राजा ओर कवि दोनों ने कटार से अपना अपना प्राणांत वहीं किया। पृथ्वीराज के साथ चंद का जीवन चरित्र ऐसा मिला हुआ है कि उससे वह किसी तरह अलग नहीं किया जा सकता । चंद पृथ्वीराज का लँगोटिया मित्र था । वह सदा पृथ्वीराज के साथ रहता था, इसलिये जो जो घटनायें उसने लिखी हैं, उनमें, सत्य का अंश बहुत अधिक है । उसने आँखों देखी बातें लिखी हैं । चंद महाकवि था । उसका बनाया हुआ पृथ्वीराज रासो" हिन्दी में एक अपूर्व ग्रन्थ है । उसमें स्थान २ पर कविता के नवो रसों का वर्णन बड़ी मार्मिकता से किया गया है। चंदने पृथ्वीराज का सम्पूर्ण चरित्र अपनी स्त्री गौरी से कहा है । जिस प्रकार तुलसीदास की चौपाई, सुरदास के पद, बिहारी के दोहे, गिरधर की कुण्डलिया और पद्माकर के घनाक्षरी छन्द प्रसिद्ध हैं उसी प्रकार चन्द ने छप्पय लिखने मैं बड़ा नाम पाया है । "रासो" की कविता में संयुक्ताक्षरों की खूब भरमार है । पढ़ते समय ऐसा मालूम होता है कि जीभ को खूब ऊबड़ खाबड़ रास्ता तै करना पड़ रहा है, पर उस रास्ते में जो काव्य रस के मनोहर पुष्प खिले हुये हैं उनकी सुगन्ध से मन मुग्ध हो जाता है । " रासो ” में बीर और शृङ्गार रस की कविता बहुत है, उनमें बड़ा चमत्कार और बड़ी मनोमोहकता है। बंद की कविता की भाषा अच्छी तरह वे ही लोग समझ सकते हैं जिन्हें संस्कृत और राजपूताने की बोली का अच्छा