पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/५९

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४ aftaar saat ज्ञान हो । साधारण हिन्दी जानने वालों की समझ में वह अच्छी तरह नहीं आ सकती । " रासो " बहुत बड़ा ग्रन्थ है । समय समय पर चंद जो कविताये' रचता था, उसे वह कण्ठस्थ रखता था, या कागज़ पर लिख लेता होगा । उन्हें पुस्तकाकार उसने ६० दिन में किया। रासो में कुल ६६ अध्याय हैं । प्रत्येक अध्याय किसी न किसी ऐतिहासिक घटना को लेकर लिखा गया है । पृथ्वीराज ने अपने जीवन में बहुत सी लड़ाइयाँ लड़ी थीं और उन्होंने विवाह भी कई किये थे, रासों में सब का विस्तार पूर्वक वर्णन है। चंद का जन्म लाहौर में हुआ था और वहाँ मुसलमानों का अधिक संसर्ग था इसलिये चंद की कविता में फ़ारसी के भी बहुत से शब्द आ गये हैं । आगे हम चंद की कविता के कुछ नमूने उद्धृत करते हैं :- पद्मावती समय दूहा पूरब दिस गढ़ गढ़न पति समुद शिखर अति दुग्ग | विजय सुरराज पति जादू, कुलह अभग्ग ॥ १ ॥ सायर प्रजाद । तहँ इसम अबल | हयगय देस अति पति भूप सेवहिं सकल धुनि निसान बहु साद ॥ २ ॥ कवित्त धुनि निसान बहु साद नाद सुरपंच बजत दिन | दस हजार हय चढ़त हेम नग जटित साज तिन ॥ गज असंख गज इक नायक कर घरी पतिय मुहर सेना तिय संखह । पिनाक धर भर रज ररुखह ||