पृष्ठ:कविवचनसुधा.djvu/३०

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कविवंचनसुधा।

ती सोफी सुरमई से निकाले हैं ॥ आसमानी आबी आगरई औ अबीरी औध आवासी अरंववानी अव्वल अम्याले हैं। आछे औधवाले अबमाले हैं अकास कैधौं फैले आजु आले मघवान के दुसाले है ।। ११ ॥

किसमिसी कोकई कपूरी कोच की है काही किसमिती कासनी पियाजी कजपूत के । जाफरानी जीजई बदामी बरसई आध बैंजनी बनोटी ऊदे मूर्गिया अभूत के ।। फाकतई फीलई गुलाबी लाखी फालसई नाफरमानी नसूनी नारंजी सबूत के । चम्पई अनाले तूसी पीले पिसतई काले पावस घनाले कै दुसाले पुरहून के ॥ १२॥

बाटिका विहङ्गन पै बारिजात रङ्गन पै बायु बेग गङ्गन पै बसुधा बगार है । बांकी बेनु तानन पै बंगले बितातन पै बेस औध पानन पै बीथिन बजार है | बृन्दाबन बेलिन पै बनिता नबेलिन पै ब्रजचन्द केलिन पै बंशीवट मार है । बारि के कनाकन 4 बद्दलन बांकन पै बीजुरी बलाकन पै वरषा बहार है ।।

यमुनाके पावन पुलिन जे सुभावन के पावन के पावन ले? सारदा गुनाक्न को। मिचकी चलावन पै कुच की हलावन त्यों चूनरी चुना -वन को कहे सुहावन को ॥ देखे. बनै मावन प्रसेद मुख आवन को मोती मनो प्रेम हंस सावन लुनावन को । आई मनमावन बुलावन झुलावन पै सावन सुहावन को गायन सुनावन को ॥ १४ ॥

बैठी मंच मानिक को फेरत रई को औष माधुरी की मूरति