पृष्ठ:कवि-प्रिया.djvu/१०२

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सिद्ध लोग, तथा तपोबद्ध ऋषिराज उनकी उदारता का वर्णन करते करते हार गये, परन्तु कोई भी वर्णन न कर सका। भावी, भूत, वर्तमान जगत सभी ने उनकी उदारता का वर्णन करने की चेष्टा की परन्तु किसी से भी वर्णन करते न बना। उस उदारता का वर्णन उनके पति ब्रह्माजी चार मुख से करते है, पुत्र महादेव जी पाँच मुख से करते है और नाती (सोमकार्तिकेय) छ मुख से करते है, परन्तु फिर भी दिन-दिन नई ही बनी रहती है।

सूर्य का दान वर्णन

बाधक विविवि व्याधि, त्रिविध अधिक आधि,
वेद उपवेद बध बधन विधानु है।
जग पारावार पार करत अपार नर,
पूजत परम पद पावत प्रमानु है।
पुरुष पुरान कहै, पुरुष पुराने सब,
पूरण पुराण सुने निगम निदान है।
भोगवान, भागवान, भगतन भगवान,
करिवे को 'केशौदास' भानु भागवान, है॥७०॥

'केशवदास' कहते हैं कि सूर्यदेव विविध व्याधियो के बाधक या रोकने वाले है, और अधिकतर आधियो (मानसिक रोगो) को भी दूर करते है तथा वेद और उपवेद के नियमो के विधायक है अर्थात् वैदिक कार्य उन्हीं की चाल पर निर्भर रहते है। पुराने सभी लोग उन्हे सबसे पुराना कहते है और सम्पूर्ण पुराणो के मूल कारण है अर्थात् वे भी उन्हीं की चाल पर निर्भर रहते है। सूर्य भगवान अपने भक्तो भोगवान भाग्यवान और ऐश्वर्यशाली बनाने के लिए ही है।

परशुरामजी को दान

सवैया

जो धरणी हिरण्याक्ष हरी, वरयज्ञ वराह छड़ाइ लई जू।
दानव मानव देवनिके जु, तपोबल केहूँ न हाथ भजी जू॥