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पृष्ठ:कवि-प्रिया.djvu/१०५

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पर कु कुम लगाने मे बडा पडित है और जिसके प्रभाव के देव, अदेव (सुरअसुर) सबो ने देखा है, ब्रह्मा को भी बनाने वाले ईश्वर ने उसी हाथ को राजा बलि के आगे फैलाया।

हरिचंद का दान वर्णन

मातुके मोह पिता परितोपन, केवल राम भरे रिसभारे।
औगुण एकाही अर्जुनके, क्षितिमडल के सब क्षत्रिन मारे॥
देवपुरी कह औधपुरी जन, केशवदास बड़े अरु बारे।
सूकर कूकर और सबै हरिचदकी सत्य सदेह सिधारे॥७५॥

अपनी माता के अपराध पर और पिता को सतुष्ट करने के लिए परशुराम अत्यन्त क्रोध मे भर गये और एक सहस्त्रार्जुन के अपराध करने पर उन्होने पृथ्वी भर के सब क्षत्रियो को मार डाला। 'केशवदास' कहते है कि उधर राजा हरिश्चन्द्र के सत्य के कारण अयोध्या के बडे छोटे सभी मनुष्य तथा कुत्ते सुअर तक स्वर्ग पहुँच गये।

राजा अमरसिंह का दान वर्णन

कवित्त

कारे कारे तम कैसे, प्रीतम सुधारे बिधि,
बारि बारि डारेगिरि 'केशौदास' भाखे है।
थोरे थोरे मदनि कपोल फूले थूले थूले,
डोले जल, थल बल थानुसुत नाखे है।
घंटे घननात, छननात घने घुघुरुन,
भोरे भननात भुवपति अभिलाषे है।
दुवन दरिद्र दल दलन अमरसिह,
ऐसे ऐसे हाथी ये हथ्यार करि राखे है॥७६॥

'केशवदास' कहते है कि जो काले-काले और जिन्हे ब्रह्मा ने तम अर्थात् राहु के मित्र जैसा बनाया है। जिनपर बडे-बडे पहाड़ निछावर कये जा सकते है। जिनके कपोल थोडे-थोडे मद से अच्छी तरह फूले