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राजकुमार को विविध विद्याओ का ज्ञाता विनोद युत ( विनोदी
अर्थात् सदा प्रसन्न रहने वाला ) शीलवान, आचारवान, सुन्दर, शूर,
उदार, और सामर्थ्यशाली वर्णन करना चाहिए ।
उदाहरण
कवित्त
दानिन के शील, परदान के प्रहारी दिन,
दानवारि ज्यों निदान देखिये सुभाय के।
दीप दीप हू के अवनीपन के अवनीप,
पृथु सम 'केशौदास' दास द्विज गाय के।
आनँद के कंद, सुरपालक से बालक ये,
परदार प्रिय साधु मन, वच, काय के।
देह धर्म धारी पै विदेह राज जू से राज,
राजत कुमार ऐमे दशरथ राय के ॥१०॥
दानियो के स्वभाव वाले है, शत्रुओ से प्रहार पूर्वक दान
लेनेवाले है और अन्त मे विष्णु जैसे स्वभाव के दिखलाई पडते है ।
'केशवदास' कहते है कि द्वीप-द्वीपो के राजाओ के भी पृथु के समान चक्र
वर्ती राजा है परन्तु फिर भी ब्राह्मण और गाय के सेवक है। ये
बालक आनन्द के कद (आनन्ददायक ) और सुरपालक ( इन्द्र ) के
समान हैं । लक्ष्मी अथवा पृथ्वी के प्यारे तथा मन, वचन और कर्म
से पवित्र हैं। हे राजा | देह धर्म-धारी ( शरीरधारी) होने पर भी
विदेह जैसे ये राजा दशरथ के राजकुमार है।
पुरोहित वर्णन
दोहा
प्रोहित नृपहित वेद-विद, सत्यशील शुचि अग।
उपकारी, ब्रह्मण्य, ऋजु, जीत्यो जगत अनंग ।।११।।
पृष्ठ:कवि-प्रिया.djvu/१३५
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