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पृष्ठ:कवि-प्रिया.djvu/१३९

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'केशवदास' विभीषण की प्रशसा मे श्रीरामचन्द्र की ओर से भरत से कहते हैं कि किसी प्रकार समुद्र का पुल बाधकर रीछो से लका की भूमि को छा दिया, तो क्या हुआ? सूर्यसुत-सुग्रीव और बालिपुत्र अगद तथा नल-नील क्या थे और उनकी गिनती ही क्या थी। हनुमान भी कितने बलवान थे? बलपूर्वक तो यमराज से भी लका नहीं ली जा सकती थी। मैने जो लका को प्राप्त किया वह अच्छी बात मडन करने वाले तथा दूषणो (बुरी बातो) की निन्दा करने वाले, विभीषण के मत से ही प्राप्त की।

(२)

युद्धजुरे दुरयोधनसों कहि कौन, कौन करी यमलोक बसीत्यो।
कर्ण, कृपा, द्विजद्रोणसों बैर कै काल बचै बर कीजै प्रतीत्यो॥
भीम कहा बपुरो अरु अर्जन, नारि नंग्यावतही बल रीत्यो।
केशव केवल केशव के मत भूतल भारत पारथ जीत्यो॥१९॥

दुर्योधन से युद्ध करके, बतलाओ, कौन ऐसा है जो यमलोक को बसती या निवास-स्थान न बनाता? अर्थात् कौन ऐसा है जो यमलोक न जाता? कर्ण, कृपाचार्य, और द्रोणाचार्य से बैर करके काल भी अपने बल से बच सकता इसका कहीं विश्वास किया जा सकता है? भीम ओर अर्जुन बेचारे क्या थे---उनका बल तो स्त्री-द्रोपदी के नगी होते समय ही समाप्त हो गया था। 'केशवदास' कहते है कि केवल श्रीकृष्ण के मत्र से ही युधिष्ठिर ने महाभारत को जीता था।

मत्री मतिवर्णन

दोहा

पांच अंग गुण सग षट, विद्या युत दश चारि।
आगस सगम निगम मति, ऐसे मत्र विचारि॥२०॥

जिस मत्री को राजनीति के पांच [(१) साहाथ्य, (२) साधन, (३) उपाय, (४) देशज्ञान, और (५) काल ज्ञान ] अग और राजाओ से