वायु, कुबेर और ईशान), वसु (जल, ध्रुव, सोम धरा, अनिल, अग्नि, प्रत्यूष और प्रभाव), सिद्धि (अणिमा महिमा, गरिमा, लधिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य और ईशित्व), कुलाचल (हिम, मलय, महेन्द्र, सह्य, शुक्ति, ऋक्ष, विन्ध्य और पारियात्र), सॉपो के (तक्षक, कहापद्म शंख, कुलिक, कबल, अश्वतर धृतराष्ट्र और बलाहक) आठ कुल, आठ इन्द्र, चन्द्र, गार्य, साकल्य, शाकटापन, कात्यायन जैनेन्द्र और पाणिनि) व्याकरण, दिग्गज (ऐरावत पुडरोक, बामन, कुमुद, अजन, पुष्पदन्त, सार्वभौम और सुप्रतीक, और आठ (स्वाधीन पतिका, उत्कठिता, बासक सज्जा, कलहतरिता खडिता, प्रोषित पतिका, विप्रलब्धा और अभिसारिका) नायिकाए---ये आठ सख्या के सूचक माने जाते हैं।
नौ सूचक
दोहा
अंगद्वार, भूखण्ड, रस, बाघिनिकुच, निधि जानि।
सुधाकुण्ड, ग्रह, नाड़िका, नवधा भक्ति बखानि॥२०॥
अग द्वार (शरीर के नौ छिद्र) भूखण्ड (पृथ्वी के इलावर्त, कुरु, हरि, किंपुरुष, भरत, केतुमाल, भद्राश्व और हिरण्य नोखण्ड) रस (काव्य के श्रृगार, वीर करुण हास्य भयानक, वीभत्स, अद्भुत, रौद्र और शान्त) बाघिन के कुच नौ निधियाँ (पद्म, शख महापद्म, मकर, कच्छप, मुकुद, कुद, नील और खर्व), सुधा के नौ कुण्ड, नौग्रह, नौ (इडा, पिंगला, सुषुम्ना, गधारी, पूषा, गजजिह्वा, पसाद, शनि और शखिनी), शरीर की नाडियाँ और नौ (श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चन, बदन, दास्य, सख्य और आत्म निवेदन) भक्तियाँ ये नौ सख्या के सूचक बतलाये गये है।
दश सूचक
दोहा
रावणशिर, श्रीराम के, दश अवतार बखान।
विश्वेदेवा, दोष दश, दिशा, दशा, दश जान॥२१॥