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के पुत्र रामचन्द्र। आपका ऐसा राज्य है, आप चिरकाल तक राज्य करें।

उदाहरण-५

विरोधीश्लेष

सवैया

कृष्ण हरे हरये हरै संपति, शंभू विपत्ति इहै अधिकाई।
जातक काम अकामनि को हित घातक काम सुकाम सहाई।
छाती मे लच्छि दुरावत वेतो फिरावत ये सबके सँग धाई।
यद्यपि 'केशव' एक तऊ, हरि ते हर सेवक कोसत भाई॥४४॥

श्री कृष्ण ( तो अपने दासो की ) धीरे-धीरे सम्पत्ति हर लेते हैं और श्री शङ्कर जो विपत्ति को हरते है यही अधिकता है। हरि ( श्रीकृष्ण ) काम को उत्पन्न करने वाले है अर्थात् उसके पिता है और निष्काम भक्तो के हितैषी है। श्रीशंकर जी कामदेव का घातक ( मारने वाले ) और ( सकाम इच्छा से भक्ति करने वाले ) भक्तो के सहायक है। वे ( श्रीकृष्ण ) लक्ष्मी को अपनी छाती में छिपाए रखते है और ये ( श्री शंकर जी ) सभी ( भक्तो ) के साथ उसे फिराते रहते हैं अर्थात् भक्तो को लक्ष्मी प्रदान करते है। 'केशवदास' कहते है कि यद्यपि हरि और ( श्रीकृष्ण ) और हर ( श्रीशंकर जी ) एक ही है, परन्तु शंकर जी सेवक ( भक्त ) पर अधिक सद्भाव रखते है।

१३-सूक्ष्म अलङ्कार

दोहा

कौनहु भाव प्रभाव ते, जानै जिय की बात।
इगित ते आकार ते, कहि सूक्षम अवदात॥४५॥

किसी भी भाव, सकेत या आकार से, जब दूसरे के मन की बात जान ली जाती है, तब उसे सूक्ष्म अंलकार कहते हैं।