( २२ ।
अर्जुन के पास वे ही अनेक विधानो से चलने वाले वाण थे,
जिनसे उन्होने कई सेनाओ को बल पूर्लक मारा था । वे ही भुजाएँ थीं,
वही धनुष था और वही धैर्य था जिससे युद्ध मे उन्होने चारो दिशाएँ
जीत ली थी। यह वही अर्जुन थे कोई दूसरे नहीं, जिन्होने ससार
मे यश की बेल बो दी थी। परन्तु उनके देखते-देखते श्री कृष्ण
के परिवार को ) स्त्रियो को ( हस्तिनापुर जाते समय भीलो ने छीन
ही लिया।
[ यहाँ भी प्रबल कारणो के रहते हुए भी कार्य सिद्ध नहीं हुआ,
अत बिशेषोक्ति है ]
उदाहरण-५
दोहा
तुला, तोल, कसवान बनि, कायथ लखत अपार ।
राख भरत पतिराम पै, सोनी हरति सुनार ॥१॥
कोई तराजू लेकर, कोई बाट लेकर, कोई कसौटी लेकर अनेक
कायस्थ देख भाल करते रहते है परन्तु पतिराम सुनार की स्त्री राख
भरते समय, सोना चुराही ले जाती है ।
[ यहाँ भी प्रबल कारणो के रहते हुए भी कार्य सिद्ध नहीं होता
अत. विशेषोख्ति है ]
५-सहोक्ति
दोहा
हानि वृद्धि शुभ अशुभ कछु, करिये गूढ़ प्रकास ।
होय सहोक्तिसु साथही, वर्णन केशवदास ॥२०॥
केशवदास कहते है कि जहाँ हानि, वृद्धि, शुभ, अशुभ गूढ या
प्रकट कुछ भी वर्णन करते समय साथ ही एक और घटना का वर्णन
रहे, वहाँ 'सहोक्ति' होती।
पृष्ठ:कवि-प्रिया.djvu/२४९
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