उदाहरण
कवित्त
सिशुता समेत भई, मन्दगति चरननि,
गुणन सो बलित, ललित गति पाई है।
भौहन की होडा होड़ी गई कुटिल अति,
____तेरी बानी मेरी रानी सुनत सुहाई है।
'केशोदास' मुखहास हिसखै ही कटितर,
छिन छिन सूछम छबीली छबि छाई है ।
बार बुद्धि बारन के साथ ही बढ़ी है बीर,
कुचनि के साथ ही सकुच डर आई है ॥२१॥
शिशुता के सान ही साथ तेरे चरणो की गति भी मन्द पड गई
है और गुणो के साथ ही तुझ मे सुन्दर चाल भी आ गई है हे
मेरी रानी ( सखी । भौंहो की स्पर्धा के साथ ही तेरो वाणी भी
कुटिल हो गई है। केशवदास ( उस सखी की ओर से ' कहते है कि
हास्य की होड करते करते तेरी कमर भी क्षण क्षण पतली होती जा
रही है और हे सखी। बाल-बुद्धि ( भोलापन ) के साथ ही साथ तेरे
बाल भी बढे है तथा कुचो के साथ ही साथ तेरे हृदय मे सकुच भी
आ गई है।
२२-२३ व्याज स्तुति-निन्दा
दोहा
स्तुति निदा मिस होय जहें रतुतिमिस निदा जानि ।
ब्याजरतुति निन्दा यहै, केशवदास बखानि ॥
केशवदास कहते है कि जहाँ निन्दा के बहाने स्तुति और स्तुति के
बहाने निन्दा की जाती है, वहाँ 'व्याज स्तुति' और 'व्याज निन्दा
अलङ्कार कहा जाता है।
पृष्ठ:कवि-प्रिया.djvu/२५०
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