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पृष्ठ:कवि-प्रिया.djvu/२६५

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(२४८)

उदाहरण

दोहा

बदन चन्द्र, लोचन कमल, बॉह पाश, ज्यो जान।
कर पल्लव, अरु भ्रूलता, बिबाधरणि बखान॥१३॥

जैसे मुख, और चन्द्रमा को मिलाकर मुखचन्द्र, लोचन और कमल को मिलाकर लोचन-कमल, बॉह और पाश को मिलाकर बाह-पाश, कर और पल्लव को मिलाकर कर-पल्लव भ्रू और लता को मिलाकर भ्रूलता और विंबात या अधर को मिलाकर बिंबाधर शब्द बनते है। इसी तरह औरो का भी वर्णन करना चाहिए।

रूपक के भेद

दोहा

ताके भेद अनेक सब, तीनै कहो सुभाव।
अद्भुत एक विरुद्ध अरु, रूपकरूपक नाव॥१४॥

इस रूपक के कई भेद है पर मै तीन भेदो का ही वर्णन करता हूँ। उनमे से एक 'अद्भुत' दूसरा 'विरुद्ध' और तीसरा 'रूपक रूपक' नाम का है।

१-अद्भुत रूपक

दोहा

सदा एकरस बणिय, और न जाहि समान।
अद्भुत रूपक कहते है, तासो बुद्धिनिधान॥१५॥

जहाँ रूपक का वर्णन करते समय कोई ऐसी विचित्रता का उल्लेख भी कर दिया जाता है कि जिसके समान दूसरी न हो, उसे बुद्धि निधान (बुद्धिमान) अद्भुत रूपक कहते है।