( २५७ )
(श्री ब्रह्माजी, श्री विष्णु जी, श्री शङ्करजी, श्री सावित्री, श्री लक्ष्मी,
श्री पार्वती, सूर्य, चन्द्रमा और श्री शङ्करजी के मस्तक के अग्निदेव)
तथा दो पक्षी (श्री विष्णु जी का गरुड और श्री ब्रह्माजी का हस) है, राजा
इन्द्रजीत सिंह के शरीर की रक्षा करेगा।
उदाहरण (४)
दोहा
देखै सुनै न खाय कुछ, पांय न, युबती जाति ।
केशव चलत न हारई, वासर गनै न राति ॥३४॥
'सेशबदास' कहते है कि एक वस्तु कौन सो है जो न देखती है,
न कुछ खाती है, न उसके पैर है और वह स्त्री जाति की है। वह
चलते-चलते नहीं थकती, न दिन गिनती है न रात ।। उत्तर-राह
( मार्ग)
उदाहरण (५)
दोहा
केशव ताके नामके, आखर कहिये दोय ।
सूधे भूषण मित्रके, उलटे दूषण होय ॥३॥
'केशवदास' कहते है कि उस गब्द के दो अक्षर कहे जाते है,
जिसके सीधे रहने से मित्र की शोभा होती है और उलट देने से दोष
हो जाता है।
[ उत्तर-राज जिसे उलटने से जरा ( बुढापा ) बनता है ]
उदाहरण (६)
दोहा
जाति लता दुहुँ आखरहि, नाम कहै सब कोय ।
सूधे सुख मुख भक्षिये, उलटे अम्बर होय ॥३६॥
पृष्ठ:कवि-प्रिया.djvu/२७४
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