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पृष्ठ:कवि-प्रिया.djvu/२९५

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उदाहरण

सवैया

भूषितदेह विभूति, दिगम्बर, नाहिंन अम्बर अंग नवीनो।
दूरिकै सुन्दर सुन्दरी केशव, दौरी दरीन में मन्दिर कीनो॥
देखि विमडित दड़िनसों, मुजदंड दुवो असि दण्ड विहीनो।
राजनि श्रीरघुनाथ के राज, कुमण्डल छोड़ि कमण्डल लीनो॥३४॥

उनके शरीर विभूति (भस्म) से भूषित (सुशोभित) है। वह दिगम्बर है और उनके शरीर पर नये वस्त्र नहीं है। 'केशवदास' कहते है कि सुन्दरी स्त्रियो को छोड़कर उन्होंने दौड़ कर पहाड़ो की गुफाओ में घर बनाया है। उनके भुजदण्ड दण्डियो (सन्यासियो) के दण्डो से सुशोभित है और दोनो दण्डो अर्थात् तलवार तथा राजदण्ड से विहीन है। श्री रघुनाथ जी के राज्य में, राजाओ ने पृथ्वी मण्डल को छोड़कर कमण्डल ले लिया है अर्थात् सन्यासी हो गये है।

१६---निर्णयोपमा

दोहा

उपमा अरु उपमेय को, जहँ गुण दोष विचार।
निर्णय उपमा होत तहँ, सब उपमनि को सार॥३५॥

जहाँ उपमान के दोषो पर तथा उपमेय के गुणो पर विचार करके, समता दी जाती है, वहाँ निर्णयोपमा होती है, जो सब उपमाओ का सार है।

उदाहरण

कवित्त

एकै कहै अमल कमल मुख सीता जू को,
एकै कहै चन्द्र सम आनँद को कंदरी।