पच्चीस वर्ण की रचना
दोहा
चेरी चंदन हाथ कै, रीझ चढ़ायो गात।
विह्वलक्षितिवर डिभशिशु, फूले वपुष नमात ।।१६।।
जब चेरी ( कूवरी दासी) ने, रोझ कर, श्री कृष्ण के शरीर पर
चदन लगाया, तब राजा कस बहुत विह्वल (व्याकुल) हुआ और बालरूप
धारी कृष्ण फूले न समाये ।
चौबीस वर्ण की रचना
दोहा
अघ, वक, शकट, प्रलंब हनि, मारयो गज चारपूर ।
धनुषभजि दृढ़दौरि पुन, कंसमथ्यो मद मूर ॥१७॥
(श्री कृष्ण ने) अघासुर, बकासुर, शकटासुर और प्रलबासुर को मार-
कर (कुवलया हाथी) और चाणर का सहार किया। फिर दौडकर मतवाले
कस के दृढ धनुष को तोडते हुए, उसे भी मार डाला।
तेईस वर्ण की रचना
दोहा
सूची यशुमति नन्द पुनि, भोरे गोकुलनाथ ।
माखनचोरी भूठ हठ, पढ़े कौन के साथ ॥१८।।
यशोदा जो सीधी है और गोकुलनाथ नन्द भी भोले-भाले है फिर
बताओ मक्खन की चोरी करता, झूठ बोलना वथा हठ करना, किनके
साथ रहकर सीखा है ?
बाईस वर्ण की रचना
दोहा
हरि दृढ़ बल गोविन्द विभु, मायक सीतानाथ ।
लोकप विट्ठल शङ्खधर, गरुडध्वज रघुनाथ ॥१६॥
पृष्ठ:कवि-प्रिया.djvu/३२३
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