( ३१. )
सात अक्षर
दोहा
राम काम वशशिव करे, विबुध काम सब साधि ।
राम काम बरबस करे, केशव सिय आराधि ॥३४॥
जिन श्रीराम ने श्रीशकर जी को काम वश करके, देवताओ के
समस्त कार्यों को सम्पन्न किया, उन्हीं कामवत् सुन्दर श्रीराम को सीता
जो ने, सेवा करके, अपने वश मे कर लिया।
षट अक्षर
दोहा
काम 'नाहिनै कामके, सब मोहनके काम ।
वस कीनो मत सबनको, का वामा का काम ॥३॥
यह कामदेव का काम नहीं प्रत्युत मोहन (श्रीकृष्ण) का काम है कि
उन्होने सभी के मनो को वशमे कर लिया है। चाहे वह सुन्दर हो
या कुरूप।
पंच अक्षर
दोहा
कमलनैन के नैनसो, नैननि कौनो काम ?
कौन कौन सो नेमकै, मिले न श्याम सकाम ॥३६॥
कमल-नयन (श्रीकृष्ण ) के नेत्रो से मेरा कौन काम है ? वह कामी
श्याम भला किन-किन से प्रतिज्ञा कर कर के नहीं मिले २
चारि अक्षर
दोहा
बनमाली बनमे मिले, बनी नलिन बनमाल।
नैन मिली मनमनामिली, बैनन मिली न बाल ॥३७॥
पृष्ठ:कवि-प्रिया.djvu/३२८
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