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पृष्ठ:कवि-प्रिया.djvu/३३०

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(३१२)

आधा एकाक्षर

दोहा

केकी केका की कका, कोक कीकका कोक।
लोल लालि लोलै लली, लाला लीला लोल॥१॥

मोर की ध्वनि क्या है चक्रवाक और मेढ़को की ध्वनि भी क्या है। क्योंकि वह नायिका पुत्र प्रेम मे भरी हुई घूमती रहती है और उसी की चंचल लीलाओ पर मुग्ध रहती है।

प्रतिपदाअक्षर

दोहा

गो गो गीगो गोगगज, जीजै जीजी जोहि।
रूरे रूरे रेरु ररि, हाहा हूहू होंहि॥४२॥

हे जलमे डूबते हुए गज! तुम 'गो,गा, की पुकार करो अर्थात् यह कहो कि 'मैं तुम्हारी गऊ हू'। भाव यह है कि दीन स्वर से पुकारो। प्राणो के भी प्राण उन (श्रीकृष्ण) को देख कर तुम जी जाओगे। उन अच्छे सहायक को रट लगाओ तथा उन्हीं से हा हा खाओ अर्थात् विनती करो, क्योंकि तुम्हें पकड़ने वाला 'हू हू' गन्धर्व है।

युगलपद एक अक्षर

दोहा

केकी केका कीक का, कोंक कुकि का कोक।
काक कूक कोकी कुकी, कूके केकी कोक ॥४३॥

बहिर्लापिका अन्तर्लापिका

दोहा

उत्तरबरण जु बाहिरै, बहिरलापिका होइ।
अन्तर अन्तरलापिका, यह जानै सब कोंइ॥४४॥