पृष्ठ:कवि-प्रिया.djvu/३५०

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( ३३२ ) है। तो भी वह बड़ी ही सुशीला है। ( सभी कष्ट को शान्ति पूर्वक सह लेती है) त्रिपदी दोहा रामदेव नरदेव गति, परशु धरन मद धारि। वामदेव गुरदेव गति, पर कुधरन हद धारि ।।७६॥ श्री राम तो पर ब्रह्म हैं पर उनकी गति नरदेव अर्थात् राजाओ जैसी है। उनके सामने परसुधर अर्थात् श्री परशुराम जी भी अपने मद को धारण न किये रह सके। वही शिवरूप है, वही गुरुदेव हैं, उनकी गति सबसे परे है, वही कु अर्थात् पृथ्वी को धारण करते हैं और वही मर्यादा धारी हैं। [ इस दोहे से नीचे लिखे तीन प्रकार के चित्र बन सकते है :- दे र म धा न । र दे | ग व ति प | शु र । | गु दे ग प | कु । र । ह | धा - (२) राम वन | देव | तिप शुध | नम | धा वाम | वगु | देव | तिप कुध नह | धा - -