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( ३३६ )
अथ कमलबन्ध
दोहा
राम राम रम क्षेम क्षम, शम दम क्रम धम वाम ।
दाम काम यम प्रेम वम, यम यम दम श्रम वाम ॥४॥
Kee
जनमत
अथ वनुषबद्ध
दोहा
परम धरम हरि हेरही, केशव सुने पुरान ।
मन मन जानै नार द्वै, जिय यश सुनत न आन ॥८॥
धनुषबद्ध
धरम हरि हेर
-
का केशव
ने पुरा
न
कब-124)
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