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अथ डमरूबद्ध
जगत केशव
___
___मति मत हर
र स र वर श्री स
A समय
नव जी न मर
| र क सिव र सु
। ख दुख सु ल क
इन दोहो का डमरू भी बन सकता है-
दोहा
काम धेनु दै आदि औ, कल्प वृक्ष परयत ।'
बरणत केशवदास कवि, चित्र कवित्त अनंत ॥१॥
इहि विधि केशव जानिये, चित्र कवित्त अपार ।
वरणन पंथ बताय मै, दीनो बुधि अनुसार ॥१३॥