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पृष्ठ:कवि-प्रिया.djvu/६१

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शरीर के रोयो सहित शिर के बालो को श्वेत होता हुआ देखकर 'केशव' ने उनका यो वर्णन किया है। ये सफेद बाल है या आयु की समाप्ति के अकुर है अथवा शूल हैं, जिन्होने सारे सुखो को समूल नष्ट कर दिया है। अथवा जरारूपो कुरूप राजा ने रूप ( सुन्दरता ) से चादी के पानी से पराजय का पत्र लिखा लिया है, ( जिससे ये सफेदबाल सफेद-सफेद अक्षर हैं ) या जरा ( बुढापे ) से बाणो ने जीव को चारो ओर से घेर लिया है अथवा मृत्यु ने जीव को जरी का कम्बल उढा दिया है।

सवैया

अभिराम सचिक्कन श्याम, सुगंधके धामहुते जे सुमाइकके।
प्रतिकूल सबै हगशूल भये, किधौ शाल शृगारके घाइकके॥
निजदूत अभूत जरा के किधौ, अफताली जरा जनलाइकके।
सितकेश हिये यहि वेश लौ, जनु साइक अंतकनाइकके॥१४॥

जो बालसुन्दर, चिकने, काले सुगध के सुन्दर घर थे, वे सब अब उलटे आखो के शूल ( दुख देने वाले ) हो गये हैं। ये सफेद बाल है या श्रृगार ( शोभा ) को नष्ट करने वाले के हाथ के शाल ( अस्त्र विशेष ) हैं। अथवा ये सफेद बाल बुढापे के अद्भुत दूत है या वृद्धावस्था के योग्य अधिकारी है। ये सफेद बाल ऐसे ज्ञात होते है मानो यमराज के बाण हों।

सवैया

लसै सितकेश शरीर सबै कि जरा जस रूपके पानी लिखायो।
सुरूपको देश उदासकै कीलनि कीलितु कैकै कुरूप नसायो॥
जरै किंधौ केशव व्याधिनिकी, किधौ आधि के अंकुर अंत न पायो।
जरा शरपंजर जीव जरयो, कि जुरा जरकबर सो पहिरायो॥१५॥

शरीर भर मे सफेद बाल है या बुढापे ने चादी के पानी से अपनी कोर्ति लिखा ली है। ( ये बाल मानो उसके अक्षर है )। अथवा कुरूप ने सौन्दर्य के देश को उद्दासन मत्र की कीलो को गाड़