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पृष्ठ:कवि-प्रिया.djvu/९१

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लगड़ा, गू गा, रोगी, बनिया, डरा हुआ, भूखा, अधा, अनाथ, बकरी आदि का बच्चा और स्त्री को निर्बल कहा गया है।

उदाहरण

कवित्त

खात न अघात सब जगत खवावत है,
द्रौपदी के साग-पात खात ही अघाने हौ।
"केशौदास" नृपति सुता के सत भाय भये,
चोर ते चतुर्भुज चहूँ चक जाने हो।
मांगनेऊ, द्वारपाल, दास, दूत, सूत सुनौ,
काठमाहि कौन पाठ वेदन बखाने हौ।
और हैं अनाथन के नाथ कोऊ रघुनाथ,
तुम तौ अनाथन के हाथ ही बिकाने हौ॥५१॥

आपको सारा ससार खिलाता है, और आप कभी तृप्त नहीं होते परन्तु द्रोपदी के शक-पात से ही आप तृप्त हो गये। 'केशवदास' कहते है कि एक राजकन्या के सद्भाव के कारण आपने एक चोर राजकुमार के बदले अपना चतुर्भुज रूप दिखलाया, यह बात चारो ओर के सब लोग जानते है। आप राजा बलि के लिए भिक्षुक बने, उग्रसेन के यहाँ द्वारपाल बने, सेन भक्त के रूप मे दास हुए, पाडवो के दूत बने, अर्जुन का रथ हॉक कर आपने दूत का काँम किया और सदीपनि ऋषि के लिए जो काठ [ लकडी ] तोडने के लिए गये उसमे वेद पाठ का कौन सा गुण था? हे रघुनाथ! और कोई तो अनाथो का नाथ ही होगा, परन्तु आप तो अनाथो के हाथ बिक ही गये हैं।

२२---बलिष्ठवर्णन

दोहा

पवन, पवनको पूत, अरु, परमेश्वर, सुरपाल।
काम, भीम, बाली, हली, बलिराजा, पृथु, काल॥५२॥