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पृष्ठ:कवि-प्रिया.djvu/९४

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HERE पृष्ठ २२६, कवित्त जानु, कटि, नाभि कूल, कठ पीठ, भुजमूल, उरज करज रेख, रेखी बहु भाँति है। दलित कपोल, रद ललित, अधर रुचि, रसना-रसित रस, रोस में रिसात है। लेटि लेटि लौटि पौटि, लपटाति बीच बीच, __हा हां, हूँ हूँ, नेति, नेति वाणी होति जाति है। आलिंगन अंग अंग पीड़ियत, पद्मिनी के, सौतिन के अंग अंग पीडनि पिराति है ॥४॥