पृष्ठ:कवि-रहस्य.djvu/९६

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धनुर्वेदपरिचय

सूरज मुसल, नील पहारी, परिध नील,

जामवंत असि, हनू तोमर प्रहारे हैं ।

परशा सुखेन, कुंत केशरी, गवय शूल,

विभीषण गदा, गज भिदिपाल तारे हैं ।

मोगरा द्विविद, तीर कटरा, कुमुद नेजा,

अंगदशिला, गवाक्ष विटप विदारे हैं ।

अंकुश शरभ, चक्र दधिमुख, शेष शक्ति,

बाण तिन रावण श्रीरामचंद्र मारे हैं ।

[केशवदास--रामचंद्रिका]
 

वैशपरिचय

राज राज दिगबाम. भाल लाल लोभी सदा।

अति प्रसिद्ध जग नाम, काशमीर को तिलक यह ॥

[केशव--रामचंद्रिका]
 

आछे आछे असन, बसन, बसु, वासु, पशु,

दान, सनमान, यान, बाहन बखानिये ।

लोग, भोग, योग, भाग, बाग, राग, रूपयुत

भूषननि भूषित सुभाषा सुख जानिये ।

सातो पुरी तीरथ, सरित, सब गंगादिक,

केशोदास पूरण पुराण, गुन गानिये ।

गोपाचल ऐसे गढ़, राजा रामसिंह जूसे

देशनि की मणि, महि मध्यदेश मानिये ॥

[केशव--कविप्रिया]
 

हय-गज-लक्षणपरिचय

तरल, तताई, तेजगति, मुख सुख, लघु दिन देखि ।

देश, सुवेश, सुलक्षणै, बरनहु बाजि बिशेखि ॥

मत्त, महाउत हाथ में, मंद चलनि, चलकर्ण ।

मुक्तामय, इभ, कुंभ शुभ, सुन्दर, शर, सुवर्ण ।

[केशव--कविप्रिया]
 
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