- हेगरी काटन अत्यन्त भूपणास्पद समझते हैं एक स्थान पर आपने बड़ी सुशी के साथ यह कहा भी है कि "भारतवर्ष के शासन में, वंश परम्परा से, मेरा सम्बन्ध चला पाता है"। हम ईश्वर से सविनय प्रार्थना करते १०२ कांग्रेम-चरितावली। तयापि शाप उनकी न्यूनताओं को भली भांति जानते हैं। प्राप लिखते हैं कि, "शिक्षित लोगों में जो प्रयगुण दिखाई देते हैं वे उन कारखों से तत्पन्न हुए हैं कि जिन पर उनका कुछ यस नहीं चलता । सम्प्रति इन लोगों की संख्या बहुत कम है । और ये जन समूह के मान से बहुत अधिक शिक्षित हैं। ऐसी अवस्था में यदि वे अभिमानी हो तो इस में भाश्चर्य ही क्या है। इन लोगों को सरकारी अधिकार के घड़े २ पद दिए नहीं जाते; तय यदि वे असन्तुष्ट हों तो इसमें प्राश्चर्य की कौन सी बात है?" सर हेनरी फाटन महोदय के दो पुत्र भारतवर्ष में ही है। एफ तो कलकत्ता हाईकोर्ट के एडवोकेट हैं; और दूसरे मदरास सिविल सर्विस में हैं। भापका एक भतीजा भी यहीं नौकर है । इस देश के साथ श्राप के वंश का जो इतना घना सम्बन्ध है उसको भर हैं कि काटन महोदय के वंशज भी ही के समान इस देश की भलाई करने का उद्योग करें। eToro
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