पृष्ठ:कांग्रेस-चरितावली.djvu/१३४

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११६ कांग्रेस-धरितावली. . मसयिदा तय्यार करने वाले हार स्टोक्स ने स्वयं कृतज्ञता पूर्वक स्वीकार किया है। टागोर ला लेक्चर की पुस्तक प्रसिद्ध होते ही डाकृर घोष की यकालत .सूब अच्छी तरह चलने लगी । उस समय से अब तक बराबर सापकी वकालत उत्तगता पूर्वक चल रही है। सन् १८७८ में, कलकत्ता विश्वविद्यालय ने आपको अपना फ़ेलो घनाया और सन् १८८४ में, कलकत्ता विश्वविद्यालय ही ने भापके फ़ानूनी जान को जानकर 'डाकर साफ़ लाज़' (एल० एल. ही०) की पदवी दी । सन् १८८८ में, भाप बंगाल के लाट सभा के सभासद घनाए गए। सन् १८९१ में, लार्ड लेसहोन साहय ने आपको भारतवर्ष : की कानून बनाने वाली कौंसिल का सभासद बनाया। आप इस लाट कौंसिल में, सन् १८९५ तफ सभासद रहे। इन ६ वर्षों में आपने लाट-सभा में, कई एक देश सुधार के काम फिए । आप के ही सुझाने पर दीयानी के कानून में दो एक नए सुधार हुए। परदेश से भानेवाले माल पर कर लगाने के कानून का-आपने यह जान कर भो कि सरकार विलायत वालों के लाभ के सामने हमारी बातों को कभी स्वीकार न फरेगी भारतवासियों का पक्ष लेकर-निर्भय पूर्वक सूध ही कड़े शब्दों में विरोध किया। उस समय मापने अपने भाषण द्वारा गवर्मेट को यह स्पष्ट घतला दिया था कि गवर्मेट मेनचेस्टर वालों के लिए भारतवा- सियों के साथ कितना अन्याय करती है। कौंसिल में उत्तम प्रकार से कार्य करने के कारण गवर्मेंट ने नापको सन् १८८६ में, सी०माई०ई० की पदवी प्रदान की। इसके पश्चात आपने आठ वर्ष तक अपना जीवन साधारण रीति से निर्वाह किया। वकालत का कार्य करने और पुस्तकावलोकन के अतिरिक्त, मापने किसी देश हित कार्य में भाग नहीं लिया। परन्तु इतने में लार्ड कर्जन के ; औरंगजेबी समय का वैभवरवि पर्शिम की ओर से प्रकाशित हुआ। उन्होंने अपनी अदूरदर्शिता के कारण, भारतवासियों के ऊपर बहुत ही वे परवाई के साथ शासन किया।' दिमी दरवार के समय अपने नवाबी ठाठ में मम होकर, भारत के राजा .