पृष्ठ:कांग्रेस-चरितावली.djvu/१३८

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१२० कांग्रेस-चरितायली। और चीन की भी दशा को देख रहे हैं। और इन देशों की ये दशा देख कर हमें निराशा उत्पन हो रही है। हमें, अब चिकनी चुपड़ी बातों से शान्ति नहीं मिलेगी। मिस्टर माले जब इन यातों पर विचार करते हैं तब वे इस दृश्य. को भूल कर यह कहने लगते । कि हमने अपनी जान ज्योति को मिल और वर्क की जान ज्योति में प्रकाशित किया है। हम भी जानते हैं कि हमें क्या कठिनाइयां हैं. हम लोगों को राजनैतिक दृष्टि से युक्त होकर एक जाति बनने में लिए क्या क्या कठिनाइयां यीच में पड़ेगो इस बात को हम जानते हैं रस्ता बहुत दूर है, सराय है, पैर पक जायगे । परन्तु धीरे धीरे पैर यढ़ते बढ़ते बढ़ेंगे । घुटने रक्त से भर जायगे । दिल टूट जायगे । परन्तु हमारी विनय है ईश्वर के लिए इस पवित्र राह में तलवार निकाल फर रास्ता न रोकिए । हम फिर भी कहते हैं कि हम चान्द के लिए नहीं रोते हैं वरन् हमारी यह इच्छा है कि हमारा देश सुटिश राज्य के स्वाधीन रह कर भी संसार की अन्य जातियों में, अपना यथार्थ गौरत माप्त करे। होकर राश बिहारी घोष के जीवन चरित से उनकी योग्यता, काम करने की प्राणली, देश सेवा इत्यादि गुरा स्पष्ट प्रगट होते हैं। गत तीन चार वर्ष पहले श्राप कांग्रेस के अनुयायी नहीं थे, इसी कारण श्राप पर कुछ लोग आतेप करते हैं और इसी सबब से गरम दल के लोग आपको कांग्रेस का सभापति बनाए जाने के विपक्ष में थे। परन्तु जो पुरुष समय पड़ने पर देश सेवा का कार्य कर सके, देश सेवा करने के योग्य हो, तो क्या वह इस योग्य नहीं कि उसका मान किया जाय? हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि कांग्रेस में जो मतभेद उप्तन्न हो गया है • वह शीघ्रही दूर हो जाय और डाकृर महोदय सदेव जीवन पर्यन्त इस नभागे देश का कार्य करने में तत्पर रहें। -::*:0:-