पृष्ठ:कांग्रेस-चरितावली.djvu/१५२

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कांग्रेस-चरितावमी। विद्रोह दमन करने के लिए ह्यूम साहय ने सरकार से ५२२ पैदल, ३५२ सवार और ८ तोपों की मंजूरी मांगी। सरकार ने फौज भरती करने और तो देने की ख़शी से मंजूरी दी । यह सय फ़ौज प्रोर तोपें लेकर घूम साहय ने हरचन्द्र पुर के पास विद्रोहियों को परास्त किया । इस एक ही लड़ाई में विद्रोही लोग तितर बितर हो गए और फिर किसी की हिम्मन इटावे जिले में उपद्रव मचाने की न पड़ी। इस का एक कारण यह भी है कि इटाये के विद्रोहियों को. ग्वालियर से सहायता मिलने की प्रागा थी परन्तु, ग्वालियर में सर ह्यू रोज़ साहब और ब्रिगेडियर जनरल नेपियर साहय ने जाकर विद्रोहियों का नाश किपा । ग्वालियर में विद्रोह दमन हो जाने के याद चारों ओर बहुत जल्द शान्ति हो गई। ग़दर समाप्त हो जाने के ३ वर्ष बाद धूम साहब सन् १८६१ में छुट्टी लेकर विलायत गएँ । यहां आपको एक बहुत अच्छी जगह मिलती थी परन्तु उसे आप ने स्वीकार न किया। छुट्टी खतम के होने बाद ही आप भारतवर्ष में फिर वापस पाए । भारत में भाने के दो वर्ष बाद आप निमक महसूल के कमिश्नर नियत हुए । निमक के महक्मे में आपने बहुत कुछ सुधार किया । इतनी योग्यता और कार्य पटुता को देख कर लार्ड मेंटो ने इन्हें संयुक्त प्रान्त के महक्मे ज़राप्रत फा डाइरेकर बनाया। इस काम को भी य म साहब ने बड़ी योग्यता से किया । परन्तु कुछ दिनों बाद खर्च की तंगी की वजह से यह महक्मा तोड़ दिया गया । इस के बाद सूती कपड़े पर महसूल बन्द करने का विवार सरकार में पेश हुआ । ह्यूम साहबने सरकार के इस विधार का खंडन यही उक्ति युक्ति के साथ किया । इस पर विलायती सरकार ने इन पर एतराज़ किए। परन्तु लार्ड रिपन ने सरकार को इस प्रकार यह कर समझा दिया कि राम साहब बड़े योग्य, अनुभवी, सरकारी खेर.. .साह और मतलय के प्रादमी हैं । रिपन ने इतनाही ह्यूम साहब के साथ मलूक नहीं किया वरन् उस समय एक मान्त में लेफटिनेण्ट गवर्नरी की जगह खाली होने घाली. थी उस पर झुम माहय को नियत करना चाहा। परन्तु ा म साहय ने लाटगिरी से इनकार कर दिया ! हयू म माहव