पृष्ठ:कांग्रेस-चरितावली.djvu/३७

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दादा भाई नौरोजी १९ बड़ा उपकार होगा" इस के अलावा उन्होंने हालयोन टाउन हाल, स्टोअरस्ट्रीटहाल, पोल्हन्हस सेंटमार्टिनलेन, फिनिक्स हाल, इत्यादि स्थानों में यही चित्ताकर्षक और सम्मति देने वालों के मन को लुभाने याली वक्तृताएं दी, जिसका परिणाम यह हुआ कि हाल- योन के कई एक निर्वाचकों ने आप के अनुकूल राय दी । १६ जून को "हालयोनं लिवरल असोसिएशन" ने ऐसा प्रस्ताव पास किया कि दादा भाई एक योग्य पुरुष हैं, उन्हें अपनी भोर से पार्लियामेंट में भेजना चाहिए। इसके बाद 'यीकली टाइम्स एण्ठईको' 'राफदेल मायज़रवर' 'यार्य हेरल्ड' 'पाल माल गज़ट' और 'टाइस्म' इत्यादि बड़े बड़े समाचार पत्रों में आप के सम्बंध में अच्छे अच्छे लेख प्रकाशित होने लगे। इन सय यातों पर से ऐसा मालूम होने लगा कि अय दादा भाई का धुनाय हालयोन की तरफ से ज़रूर होगा । परन्तु इतना परि- अम करने पर भी प्राप के केयल १८०५ निर्वाचकों की सम्मतियां प्राप्त हुई। पाप के प्रतिपक्षी कर्नल एफ, डङ्क के पक्ष में ३६५१ सम्मतियां एकत्रित हुई। इस कारण पार्लियामेंट में, इस बार आपका प्रवेश न हो सका। परन्तु आपने अपने साहस और धीरज फो परित्याग नहीं किया। भाप इस कपन के अनुसार फि "प्रारभ्य चोत्तमजना न परित्यजन्ति" भर्थात् उतम पुरुष किसी कार्य का प्रारम्भ करके उसे बीच में ही नहीं छोड़ देते; फिर भी वे उद्योग करते रहे। सन् १८८६ के अन्त में, आप फिर भारत में लौट आए। उसी साल कलकत्ते में कांग्रेस की दूसरी बैठक हुई। तारीख़ २७ दिसम्बर को टाउन हाल में यह सभा बड़े समारोह के साथ हुई । स्वागत कमेटी के सभापति । स्वर्गवासी हाकर राजेन्द्रलाल मित्र ने मस्ताय किया कि इस साल दादा भाई नौरोज़ी कांग्रेस के सभापति बनाए जांप। सब की सम्मति से दादा भाई कांग्रेस के सभापति नियत हुए। उस समय भाप ने बहुत उत्तम और सारगर्भित एक यक्तृता दी, जिससे बहुत कुछ उपदेश देशहित का काम करने वालों को मिल सकता है।

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