पृष्ठ:कांग्रेस-चरितावली.djvu/५८

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४२ काग्रेस-धरितावलो। सकता है। आप के घर पर जो कोई मिलने जावे उसके लिए किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है। जो कोई पाप से भेंट करने जाता है उससे माप प्रीति-पूर्वक, अभिमान रहित होकर यार्तालाप करते हैं। कई वर्ष हुए जय भारत सरकार ने एक 'पयलिक सर्विस कमीशन' नियत किया था उस कमीशन के सम्मुख मदरास की ओर से जो माक्षी दी गई उसमें प्रानन्द चारलू की साक्ष्य सर्वोत्तम और उपयोगी थी। आज कल मदरास प्रान्त में जो कुछ प्रजाहित अथवा देश के लाभ का काम होता है उसमें प्राय ज़रूर गरीक होते हैं। कांग्रेस के द्वारा आप सारे भारत- वर्ष की भलाई का काम भी करते हैं । सन् १८८५ में, सब से पहली बैठक कांग्रेस की बम्बई में हुई थी। उस समय पाप ने 'इण्डिया कौंसिल इन इंग्लैंड' इस पर एक बहुत ही उत्तम और सारगर्भित व्याख्यान दिया था। भाप की देशसेवा, कार्यकुशलता और देशहित के लिए उत्साह देख फर लोगों ने श्राप को कांग्रेस का सभापति चुना । इस धुनाव में परिहत अयोध्यानाथ ने सय से पहले अपनी सम्मति प्रगट की। क्योंकि परिष्ठत अयोध्यानाथ ने जो कांग्रेस की सेवा की थी उमसे लोगों की राय पगिडत जी को सभापति धुनने की थी। परन्तु उस समय पण्डित अयोध्यानाथ ने सदारता का बहुत ही अच्छा परिचय दिया । आप ने कहा कि मदरास प्रान्तवासी हमारे भाइयों में से भय तक कोई सभापति नहीं हुआ । अतएव जातीयता के नाते को अधिक दृढ़ करने के लिए उन्होंने आप का नाम लिया। इस बात को स्वयं प्रानन्द धारलू ने अपने नागपुर वाले व्याख्यान में स्वीकार किया था। आप ने कहा था कि, कांग्रेस के सभापति होने का जो सौभाग्य भाज हमें प्राप्त हुआ है उसके कारण पण्डित अयोध्यानाथ ही हैं। प्रतएव यह मान उन्हीं का समझना चाहिए। पाप की भी उदारता पण्डित जी के प्रति सराहनीय है । सभापति होकर जो मापने नागपुर में व्याख्यान दिया यह बहुत ही अच्छा था । आज कल आप व्याख्यान देकर और निबंध लिख कर देश की सेवा करते हैं। निबंध लिखने में नाप बहुत ही कुशल हैं।