पावू रमेशचन्द्र दत्त । ६ . . उपन्यास लिखकर रमेश वायू ने प्रकाशित किए। इन चारों उपन्यासों की उत्तमता इसी से ज़ाहिर है कि इनका अनुवाद हिन्दी, मराठी इत्यादि कई भाषाओं में हो गया है.। आपकी लेखन शैली बड़ी ही उत्तम है। कल्पना ही उपन्यास की जान है। उसी कल्पना को प्राप मनोहर शब्दों द्वारा इस प्रकार लिख कर प्रगट करते हैं कि कल्पित वस्तु का चित्र नानों पाखों के सामने ही मौजूद है। सबसे पहले हमने आपका माधवी- कंकण उपन्यास पढ़ा। उसके बाद बंगविजेता, जीवन प्रभात, और जीवन संध्या, को भी पढ़ा। इनमें से प्रत्येक हमें एक से एक उत्तम प्रतीत हुए। आप को ऐतिहासिक उपन्यास ही लिख कर सन्तोष न हुँप्रा । आपने दो सामाजिक उपन्यास भी लिखे हैं। उनका नाम मापने 'समाज' और 'संसार' रक्या है। इसमें से 'संसार' का अंगरेज़ी अनुवाद भी मापने ही करके प्रगट किया । ये दोनों उपन्यास भी बहुत ही अच्छे हैं । गत वर्ष हमारी इच्छा इन दोनों का अनुवाद हिन्दी भाषा में करने की हुई । इस पर हमने मापसे अनुवाद करने की आज्ञा मांगी। आप ने मुझे सहर्ष 'संसार' के हिन्दी अनुवाद करने की प्राज्ञा दी और साथ ही उसका अंगरेजी अनुवाद भी मुझे भेज दिया। 'समाज' के विषय में लिखा कि, उसका मैं संशोधन कर रहा हूं। संशोधन हो जाने के बाद इसके अनुवाद के विषय में आपको लिखा जायगा । मैंने 'संसार' का अनुवाद कर लिया है जो शीघ्र ही प्रकाशित होगा। और इसके प्रकाशित हो जाने पर 'समाज' का अनुवाद करने का प्रयत्न करूंगा। इसके अलावा प्रापने "भारत की प्राचीन सभ्यता का इतिहास" अंग. रेजी में लिख कर प्रकाशित किया है। उसका भी हिन्दी अनुवाद काशी नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा छप कर प्रकाशित हो रहा है। इस पुस्तक को मापने अंगरेजी इतिहासकारों के आधार पर लिखा है । इस यात को श्राप ने स्वयं पुस्तक की भूमिका में स्वीकार किया है । इसी कारण उसमें हमारी समझ से, अनेक दोष भी रह गए हैं । हिन्दी. 'पत्रों के कई एक सम्पादकों ने इस पुस्तक का हिन्दी अनुवाद न छपे . इस कारस. घटा कोलाहल मचाया था। परन्तु इसका हिन्दी अनवाट
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