पृष्ठ:कांग्रेस-चरितावली.djvu/९४

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कांग्रेस का सभापति चुना। उस साल कांग्रेस की सोलहवीं बैठक लाहौर कांग्रेग-रितावली। बुराई भलाई मय सापो शाप में है। एय उपरोक्त गुखों को प्राप्त करना चाहिए । भीर पराधीनता की जड़ काट देना चाहिए। विध अघया परागय से डरकर पैर पीछे मत रक्तो । पयं को कभी परित्याग मत करो। जो फाम हाथ में लो उसे यहादुरी के साथ पराक्रम पूर्व पूरा कर हालो । आज तक जिन लोगों ने बड़े बड़े मुधार किए हैं प्रभा जिन लोगों ने श्रीरों के मुरा के लिए कोई काम दाय में लिया है उनके भारम्भ में महा संकट भोगने पड़े हैं। परन्तु अन्त में उन्हें अवश्य यश मा हुआ है। इसका कारण यही है कि उन लोगों को अपने उद्योग और पराग पर पूरा पूरा यिश्यास था। उन्हेंने कभी किसी से सहायता पाने । इच्छा नहीं की। "आप लोगों को ग्रास कर तीन गुण प्रा फरना चाहिए । पहला गुण यह कि, स्वकर्तव्य फी , परिपक्वता हो' चाहिए, दूसरा यह कि, जिम काम को करना हमें अपना कर्तव्य । दिखाई पड़े उसको वेधड़क धैर्यता पूर्वक करना चाहिए और ती यह कि, जो काम हम को करना ही उसे अपने आप ही करना चाहि उस के लिए दूसरे का मुंह ताकना नहीं चाहिए। स्यावलम्बन पर भरो रखना चाहिए । प्रिय मित्रो ! प्राप अपने देश पर प्रेम करते हो न और देश की उन्नति के लिए प्राप का मन दुःखित होता है न? 4 होता है तो फिर, आप अपनी धुद्धि और नीति से, अपनी योग्य को बढ़ाओ, ऐसा करने से अपने देश की योग्यता बढ़ाने और उस उन्नति करने की सामर्थ भापमेंशावेगी। इसी प्रकार प्रापने २१ दिसा सन् १९०० ई० को 'विद्यार्थी यांधव सभा' के जलसे पर कहा था कि " शीलता, सभ्यता और योग्य पुरुष को मान, देने की वृत्ति; इन बी में किसी तरह पीछे न हटने वाले लोग हमको तय्यार करना चाहिए इस एक ही वाक्य में आपने सारे कर्तव्य कर्मों का सालाना भर दिया है, जितनी बातें ऊपर आपने कही हैं अगर उनको भारतवासी काम लाने लगे तो बस सब कुछ तरक्की सहज ही में हो सकती है। आप के गुणों को जान कर भारतवासियों ने आपको सन् १९१२ में में