पृष्ठ:कांग्रेस-चरितावली.djvu/९५

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मिस्टर नारायण गणेश चन्दावरकर । में हुई थी । मापने कांग्रेस का सभापति होना स्वीकार किया और सभापति के प्रासन को संशोभित करने के लिए भाप लाहौर पधारे । सभापति के तौर पर जो आपने व्याख्यान दिया था वह बहुत ही उत्तम यो। भाप संघ यात को कभी छिपांना नहीं चाहते । अतएव भाप 'जिन कारणों से कई वर्ष तक कांग्रेस में शरीक न हो सके उम यो आपने साफ़ तौर से कह दिया। मापने अपने उपाएपान में ज्यादा- तर देश की दरिद्रता और फिसानों की दुर्दशा का उल्लेख किया । गहा- जन लोग किसानों का धन ले लेते हैं। इस कारण किसानों की कंगाली दूर नहीं होती। ऐसी राय सरकार ने अपनी कायम करके, महाजनों से रुपया न लेने के लिए एक फ़ानून बना दिया है। इस कानून को • बने बहुत समय हो चुका; परन्तु किसानों की हालत दिन बदिन सराय होती जाती है । इस यात को मापने अपने ध्याख्यान में अच्छी तरह साबित करके लोगों को बताया। आपने कहा कि "सरकार ने जो कमीशन किसानों की दशा का सुधार करने के लिए नियत किया था 'उस कमीशन ने किसानों के मुख्य प्रश्न को एक ओर रख के-मोटेताज़ 'सन्यासी को देख उसे फांसी दी जाये इस कहावत के अनुसार, महाजनों को अपराधी साबित किया है । और किसानों के लिए कानून बना 'कर न्याय के ऊपर कुठाराघात किया गया है। किसानों की हालत प्रय तर्फ प्रदस्तूर कायम है। सर रेमंड वेस्ट के कथनानुसार शापने यह भी कहा कि सरकार ने किसानों के समान हो साहूकार और महाजन लोगों को भी दरिद्र कर दिया। इसी प्रकार प्रापने डाकर पोनल और रानडे महोदय का भी अभिप्राय इस विषय में उपस्थित कर लोगों को कह सुनाया। आपने यह भी कहा कि, 'सरकार की राय है. 5. कि किसान लोग फ़र्जे के योझ के नीचे न दये; परन्तु किसानों पर फर्ज न हो इमका कुछ भी उपाय सरकार ने अब तक नहीं यतलाया। आज ३० वर्ष हुए तयं से सरकार किसानों की दशा सुधारने के लिए कानफरेंस, कमेटी, रिपोर्ट, प्रस्ताव सब कुछ करती है; परन्तु किसानों की दशा का " सुधार कुछ भी नहीं होता । १० वर्ष पहले एक कमेटी ने खेती की शाला