राजर की कोठरी 21 1 7 मरला का खून (अगर वास्तव म वह मारी गई है तो) हरन दन ही की बदौलत हुआ है । अगर मेरी मदद की जाय तो मैं इसमो माबित परखे दिखा भी सकता हूँ। लालसिंह क्या तुम इस बात को सावित कर सकते हो पारम० देशका नालसिंह तो क्या मरला के मारे जाने में भी तुम्हें कोई शक है ? पारस. जी हा, पूरा-पूरा शक है। मेग दिल गवाही देता है वि पनि उद्योग के साथ पता लगाया जायगा तो सरला मिल जायगी। नालसिंह क्या यह पाम तुम्हारे लिये हो सकता है ? पारस० यशर, मगर खर्च बहुत ज्यादे वरना होगा। लाल० यद्यपि मैं तुम पर विश्वास और भरोसा नही रखता पर इस चार मे अपा और बेवकूफ बन कर भी तुम्हारी माफत सच करने को नैयार हू । मगर तुम यह बतानो कि हरनन्दन सरला के साथ दुश्मनी करके अपना नुकसान से कर सकता है। पारस० इसका बहुत बहा सबब है जिसके लिए हरनन्दन ने ऐसा किया, वह बह आन-बान वा आदमी है। नाल. आसिर वह सवय क्या है सो साफ-साफ क्यो नहीं कहते ? पारम० (इधर-उघर देख कर) मैं किसी समय एवान्त मे आपस चन्गा। लाल. अभी इसी जगह एकात हो जाता है, जोकुछ कहना है तुरन्त कहो, क्या तुम नहीं जानते कि इस समय मेरे दिल पर क्या बीत रही है? इतना यह बर नालसिंह ने औरों की तरफ देखा और उसी समय वे लाग उठकर थोड़ी देर के लिए दूसरे कमरे में चले गए। उस समय पुन पूर्वे जाने पर पारसनाथ ने कहा, "हरनन्दन अपनी बुद्धि और विद्या के आगे रुपये की कुछ भी बदर नही समझता। वह मापके रुपये का लालची नहीं है बलि अपनी तबीयत का बादशाह है। उसका बाप बेशक आपकी दौलत अपनी क्यिा चाहता है मगर हरनदन को सरला के साथ व्याह परला मजूर न था क्योपि वह अपना दिल किसी और ही को दे चुका है जो एक गरीव की लड़की है और जिसके माय शादी करना उमरा वाप
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