पृष्ठ:काजर की कोठरी.djvu/२६

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26 याजर की कोठरी इसी प्रकार का बातें दोना मे हा रही थी कि एक नौजवान लौडी जो घर भर को बल्कि दुनिया की हर एक चीज को एक ही निगाह (आख) से दखती थी, मटक्ती हुई आ पहुची और बादी से बोली, "बीवी नीचे छोटे नवाब साहब आये हैं।' गादी (चौंक कर) अरे आज क्या है। कहा बैठे हैं। लोडी अम्मा ने उन्हें परब वाली कोठरी में बैठाया है और आप भी उही के पास बैठी है। बादी अच्छा तू चल, मैं अभी आती हू (पारसनाथ की तरफ दस के) बड़ी मुश्किल हुई अगर मैं उनके पास न जाऊ तो भी आफ्त, वह कि लो साहब, रडी का दिमाग नहीं मिलता।' इतना ही नही वेइज्जती करन के लिए तैयार हो जाय । पारम नही नहीं, ऐसा न करना चाहिए, लो में जाता हू, अब तुम भी जाओ। (उठते हुए) ओफ, वही दर हो गई। बादी पहिले वादा पर लो कि अब पर मिलोगे? पारस कल तो नही मगर परमा जरूर मैं आऊगा। वादी मेरे सर पर हाथ रक्खो। पारम (बादी के सर पर हाथ रस वे)तुम्हार पर की कमम, परमा जहर आऊगा। दोनों वहा स-उठ खडे हुए और निवल सण्ड म आए । पारसनाथ सदर दाजे से होता हुआ अपन घर रवाना हुआ और बादी उस काठरी मे चली गई जिसमे नवाब साहब के बैठाये जाने का हाल लीडी ने कहा था । दर्वाज पर पर्दा पहा हुआ था और कोठटी के अन्दर बादी की मा क सिवाय दूसरा काई न था। नवाब के आने वा ता वहाना ही बहाना था। वादी वो देखकर उसकी मा नै पूछा, गया" वादी हा गया । बमवस्त जम आता है, उटन वानाम ही नहीलना। बादीमी मा क्या करेगी बेटी हम लोगा का काम ही ऐमा ठहरा। अब जाआ कुछ सा-पी सा, हरनदन बाबू आत ही होगे इमीलिए मैंन नवाय साहब का बहाना बरवा भेजा था। बाटी और उमरीमा धीर धीरे बातेंवरती खान न लिग चती गर ।