पृष्ठ:काजर की कोठरी.djvu/२७

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वाजर की कोठरी 27 आधे घण्टे वे अदर ही छुट्टी पावर दाना फिर उमा काठडी म आइ और बैठ कर या बातें करने लगो- बादी चाहे जो हो मगर सरला किसी दूसरे के साथ शादी न करेगी। वादी की मा (हस कर) दूसरे की बात जान दो उसे खास हरिहर- सिंह के नाथ शादी करनी पडेगी जिसकी सूरत शक्ल और चालचलन का वह सपने में भी पसद नहीं करती। पाठक । हरिहरसिंह उसी गवार का नाम या जिसका जिक्र इन उप यास के पहिल बयान मे आ चुरा है और जो बादी रडी से उस समय मिला था जब वह नाचने-गान के लिए हरनदनसिंह के घर जा रही थी। बादी अपनी मा की बाते सुनकर कुछ देर तक मोचती रही और "मक बाद बोली, लेकिन ऐसा न हुआ तब?" बादी की मा तव पारमनाथ को कुछ भी पायदा न होगा। बादी पारमनाथ पो ता मरला की शादी किसी दूसरे के साथ हा जान ही से फायदा हो जाएगा चाह वह हरिहरसिंह हो चाहे कोई और हा मगर होपारसनाथ का काई दोस्त ही। बादी की मा अगर ऐमा न हुआ तावसीयतनामे मे झगडा हा जाएगा। बादी अगर मरला का बाप पहिला वमीयतनामा ताड कर दूसग वसीयतनामा लिसे, तव बादी की मा इसी खयाल स तामैन पारसनाथ से कहा था कि सरता की शादी लालसिंह के जीते जी न होनी चाहिये और “म बात को अच्छी तरह समय भी गया है। वादी मगर लालसिंह बदाही काइया है । वादी की मा ठीक है, मगर वह पारसनाथ के फेर म उस वक्त जा जाएगा जब वह उसे यहालावर तुम्हारे पास बैठे हुएहरनन्दा का मुकाबला करा देगा। बादी लालसिंह जब यहा हरन दन बालू का देखेगा ता वह उन्हे बिना टोके कभी न रहगा और अगर टोकेगा तो हरन दन बाबू को विश्वास हा जाएगा कि बादी ने मेरे साथ दगा की। बादी की मा नही नही, हरन दन बाबू को ऐसा ममयन का मौका