पृष्ठ:काजर की कोठरी.djvu/४५

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काजर की पाठरी 45 जरूरत ही क्या है? पारस० आपको अख्तियार ह उस दम्बन जाय या न जाय, मगर व लो तो अपना काम कर ही चुके हैं, और जब उन्ह कुछ दना पडेगा ही ता जरा सी तकलीफ करने मे हज ही क्या है ? और कुछ नही ता मुरो आगय आगे सन्चे बनने का लाल० (वात काट कर) केवल हरन दन का रण्डी र यहा दिवाकर तुम सच्चे नहीं बन सकते। तुमने हम सरला के जीत हा का विश्वाग दिलाया है। पारस. ठीक ह मगर मैंन साथ ही इसक' यह भी तो कहा था कि मरला अगर मारी गई तो, या जीती ह तो, मगर उसके माथ दुराइ बग्न वाला हरन दन ही है । मैं सरला को भी खोज निकालन का व दाबस्त क- रहा हू मगर उसके पहिले हरन दन की वरचलनी दिखा कर कुठ तो अपन वोझ से हलका हो जाऊंगा। लाल. हा सो हो सकता है, मगर मेरा कहना यह ह कि जव तर मरला का ठीक पता न लग जाय तब तक मैं हरन दन का बदचलनी दस कर भी क्या जम लगा लूगा? बि सबूत के किसी तरह का शव भी ता उस पर नहीं कर सकता | क्याकि उसका एक दोस्त ऐसा आदमी ह जिसकी महाराज वे यहा बडी इज्जत है, उसका खयाल भी तो करना चाहिए। हा, अगर सरला का पता लगता हो तो जो कुछ कहो देन या खच करने के लिए मैं तैयार हूँ। पारस० सरला का पता भी शीघ्र ही लगा चाहता है। अभी कल ही उन लागो ने मुझे सरला के जीते रहने का विश्वास दिलाया है जिन लागा ने आज हरन दन को रण्डीये यहा दिखा देने का प्रबंध किया है । यदि उनका पहिला उद्योग व्यथ कर दिया जायगा तो आगे किसी काम मे उनका जी न लगेगा और न फिर वे मेरे नाम का कोई उद्योग ही करग, बल्कि ताज्जुब नहीं कि मेरी वेइज्जती करने पर उतारू हो जाय । लाल ठीक है, रुपया ऐसी ही चीज है। रपये के वास्ते लोग सभी कुछ कर गुजरते हैं, भले-बुरे पर ध्यान नहीं देते। लेकिन जिस तरह वे लोग रपये लिये तुम्हारी वेइज्जती कर सकते है उसी तरह तुम भी तो अपना