यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
अंक ३, दृश्य ५
पाँचवाँ दृश्य
स्थान-फूलों के द्वीप में एक नागरिक का घर
पिता-बेटा, इतनी देर हुई, अभी तक सोते रहोगे, क्या आज खेतों मे हल न जायगा?
लड़का-(आँख मलता हुआ) पहले एक प्याली मदिरा, फिर दूसरी बात, ओह, देह-भर में बड़ी पीड़ा है।
पिता-लड़के। तुझे लज्जा नहीं आती। मुझसे मदिरा माँगता है?
लड़का-तो माँ से कह दो, दे जाय।
(माता का प्रवेश)
माता-क्यों, आज भी सबेरा हो गया, अभी सुनार के यहाँ नहीं गये, हल पकड़े खड़े हो? इससे तो अच्छा होता कि बैलों के बदले तुम्हीं इसमें जुतते। आज के उत्सव मे चार स्त्रियों के सामने क्या पहनकर जाऊँगी?
पिता-तो अच्छी बात है, सोने का गहना बैठ-कर खाना, और चबाना मेरी सूखी हड्डियाँ! लड़के
११५