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अंक १, दृश्य २
दूसरा दृश्य
स्थान-वृक्ष-कुंज
(एक परिवार बैठा बातचीत कर रहा है)
बालिका–मां, कोई कहानी सुना।
बालक-नही मां, तू बहन से कह दे, वह मेरे साथ दौड़े।
माता-थोड़ा-सा बुनना और है । मैं कहानी भी सुनाऊँगी, और तुझे दौड़ाऊँगी भी। आज तूने कम खाया, क्या भूख नहीं थी ?
बालिका–मां, आज यह दौड़ न सका, इसी से-
माता-तो तूने इसे क्यों नहीं खेल खिलाया ?
बालक-मां, आज वहाँ लड़कों में कामना नहीं
आई । इससे बहुत कम खेल-कूद हुआ।
(एक स्त्री का प्रवेश)
स्त्री-अजी कहाँ हो बहन ! कुछ सुना ?
माता-क्यों बहन, क्या है ? आओ,
स्त्री-अरे आज तो एक नई बात हुई है।
माता-क्या?
स्त्री-समुद के उस पार से एक युवक आया है। बैठो।