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कामना
माता-सपना तो नहीं देख रही है।
स्त्री-क्या ! मै अभी देख आ रही हूँ।
माता–कहाँ है ? वह कहाँ बैठा है ?
स्त्री-कामना के घर मे । उसी के साथ तो वह द्वीप मे आया है।
माता-वह उसे क्यो ले आई ? क्या किसी ने रोका नहीं? उपासना-मंदिर से क्या आदेश मिला कि वह नवीन मनुष्य इस देश में पैर रखने का अवि- कारी हुआ, क्योकि यह एक नई घटना है ।
स्त्री-आजकल तो उपासना का नेतृत्व उसी कामना के हाथ मे है, तब दूसरा कौन आदेश देगा ?
बालक-वह कैसा है मां ?
बालिका-क्या हमी लोगो के जैसा है ?
स्त्री-और तो सब कुछ ही लोगो का-सा है। केवल एक चमकीली वस्तु उसके सिर पर थी। कामना कहती है, अब उसने वह मुझे दे दी है । उसे सिर में बॉधकर कामना बड़ी इठलाती हुई सबसे बाते कर रही है।
(एक किशोरी बालिका का प्रवेश)
किशोरी-सब लोग चलो, आगंतुक के लिए एक
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