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अक १, दृश्य २
घर की आवश्यकता है । कामना ने सहायता चाही है ।
(सब जाते है । लीला और सन्तोष का प्रवेश)
लीला-हाँ प्रियतम ! इस पूर्णिमा को हम लोग एक हो जायेंगे।
सन्तोष-परंतु तुम्हारी सखी तो-
लीला -अरे सुना है, उसने भी वरण किया है।
सन्तोष-किसे ? वह तो इससे अलग रहा चाहती है।
लीला -कोई समुद्र-पार से आया है।
सन्तोष-हॉ, आने का समाचार तो मैने भी सुना है; पर उस नवागंतुक से क्या इस देश की कुमारी ब्याह करेगी?
लीला -क्यो, क्या ऐसा नहीं हो सकता ?
सन्तोष-अभी तक तो नही सुना, क्या किसी पुरानी कहानी मे तुमने ऐसा सुना है ?
लीला-परंतु कोई आया भी तो नहीं था।
सन्तोष-यह तो ठीक नहीं है । सुना है, उसका नाम विलास है।
लीला-ठीक तो नहीं है; पर होगा यही ।
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