पृष्ठ:कामना.djvu/१७

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कामना
 

सन्तोष-यदि विरोध हुआ, तो तुम क्या करोगी?

लीला-मेरी सखी है। आज तक तो इस द्वीप मे विरोध कभी नहीं हुआ !

सन्तोष-तो मैं विचार करूँगा । तुम्हारे पथ पर मैं चल सकूँगा ?

लीला-(आश्चर्य से) क्या इसमें भी सन्देह है ?

सन्तोष-हाँ लीला-

लीला-नहीं-नहीं, ऐसा न कहो-

( दोनों जाते हैं)



तीसरा दृश्य

स्थान-कुज-वन

( कामना के साथ बैठा हुआ विलास)

कामना-प्रिय, अब तो तुम हम लोगों की बातें अच्छी तरह समझने लगे । जो लोग मिलने आते हैं, उनसे बातें भी कर लेते हो।

विलास-हॉ, अब तो कोई अड़चन नहीं होती

प्रिये ! तुम लोग कुछ गाती नहीं हो क्या ?

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