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कामना
विलास-क्यो प्रिये, तुम्हारे देश के लोग मुझसे अप्रसन्न तो नहीं है ? क्या तुम-
कामना-इसमें अप्रसन्न होने की तो कोई बात नहीं है। यह तो इस द्वीप का नियम है कि प्रत्येक स्त्री-पुरुप स्वतंत्रता से जीवन-भर के लिए अपना साथी चुन ले।
विलास.—क्या तुम किसी का डर नहीं है ?
कामना-( अल्हड़पन से ) डर ! डर क्या है ?
विलास-क्या तुम्हारे ऊपर किसी की आज्ञा नहीं है?
कामना-हॉ है, नियम की। वह तुम्हारे लिए टूट नहीं रहा है। और, इस समय तो मै ही इस द्वीप-भर की उपासना का नेतृत्व कर रही हूँ। मेरे लिए कुछ विशेष स्वतंत्रता है।
विलास-क्या ऐसा सदैव रहेगा ?
कामना-(चौंककर ) क्या मेरे जीवन-भर ? नही, ऐसा तो नहीं है, और न हो सकता है।
विलास-(गम्भीरता से) क्यों नहीं हो सकता ?
हमारे देश में तो बराबर होता है।
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