यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
अंक १, दृश्य ६
छठा दृश्य
स्थान-कामना का मंदिर और नवीन ढंग का उपवन
(कामना और विलास)
विलास-बहुत-से लोग पेया मांगते है कामना !
कामना-तो कैसे बनेगी?
विलास-लीला स्वर्ण-पट्ट के लिए अत्यंत उत्सुक है।
कामना-उसे तो देना ही होगा।
विलास-स्वर्ण तो मैने एकत्र कर लिया है, अब उसे बनाना है।
कामना-फिर शीघ्रता करो।
विलास-जब तक तुम रानी नहीं हो जाती, तब तक मै दूसरे को स्वर्ण-पट्ट नहीं पहनाऊँगा। केवल उपासना मे प्रधान बनने से काम न चलेगा। परंतु रानी बनने मे अभी देर है, क्योकि अपराध अभी प्रकट नहीं है । उसका बीज सबके हृदयो मे है।
कामना-फिर क्या होना चाहिये ?
विलास-आज सब को पिलाऊँगा । कुछ स्त्रियाँ भी रहेगी न ?
३७