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अंक १, दृश्य ६
विनोद-मैने भी बहुत-सी रेत इकट्ठी की है, परंतु बना न सका-मुझे नहीं, लीला को चाहिये।
विलास-( आश्चर्य और क्रोध प्रकट करते हुए) अच्छा, प्रतिज्ञा करो कि कामना जो कहेगी, वही तुम लोग करोगे, आज का रहस्य किसी से न कहोगे।
विनोद और लीला-हम दोनो दास हैं। किसी से न कहेगे।
कामना-क्या कहा ?
दोनो -दास हैं। आपके दास है।
कामना-नहीं, नहीं, तुम इतने दीन होकर इस ज्वाला की भीख मत लो। इस द्वीप के निवासी-
विलास-ठहरो कामना, (विनोद से ) तो तुम अपनी बात पर दृढ़ हो ? झूठ तो नहीं बोलते ?
लीला-झूठ क्या ?
विलास-यही कि जो कहते हो, उसे फिर न कर सको।
कामना-ऐसा तो हम लोग कभी नहीं करते । क्यो विनोद ।
विलास-मै तुमसे नही पूछ रहा हूँ कामना ।
विनोद-हॉ-हॉ, वही होगा।
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