पृष्ठ:कामना.djvu/७२

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अंक २, दृश्य ५
 


अब हम सब लोग उसकी आज्ञा और नियमो का पालन करें, क्योकि उसने तुम्हारे कष्टो को मिटाने के लिए पवित्र कुमारी होने का कष्ट उठाया है। उसके संकल्प हमारे शुभ के लिए होगे।

विनोद-यथार्थ है। (तलवार सिर से लगाता है)

सब-हम अनुगत है । हमारी रक्षा करो।

कामना-तुम सब सुखी होगे । मेरे दो हाथ है, एक न्याय करेगा, दूसरा दंड देगा। दंड के लिए सेनापति नियुक्त है, परंतु न्याय मे सहायता के लिए एक मंत्री की-परामर्शदाता की आवश्यकता है, जिसमे मैं सत्य और न्याय के बल से शासन कर सकूॅ। तुम लोगों में से कौन इस पद को ग्रहण करना चाहता है ?

(सब परस्पर मुँह देखते हैं)

कामना-मै तो विलास को इस पद के उप- युक्त समझती हूँ; क्योकि इन्हीं की कृपा और परामर्शों हम लोगो ने बहुत उन्नति कर ली है।

लीला-मेरी भी यही सम्मति है।

सब लोग-अवश्य।

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