पृष्ठ:कामना.djvu/७३

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कामना

(कामना एक स्वर्ण-पट्ट विलास को पहनाती है। एक ओर विलास दूसरी ओर विनोद चौकियों पर बैठते है। धूनी जलती है)

विलास-अपराधियो को बुलाया जाय ।

विनोद-(सैनिकों से) जाओ, उन्हे ले आओ।

(दो सैनिक एक एक को बाँधे हुए ले आते हैं)

कामना-क्यो, तुम लोगों ने शान्तिदेव की हत्या की?

विलास-और तुम अपना अपराध स्वीकार करते हो कि नहीं ?

१ अपराधी-हत्या किसे कहते है, यह मै नहीं जानता। परंतु जो वस्तु मेरे पास नहीं थी, उसी को लेने के लिए हम लोगो ने शांतिदेव पर तीरो से वार किया।

२ अपराधी-और इसलिए कि उसके पास का सोना हम लोगों को मिल जाय ।

कामना-देखो, तुम लोगों ने थोड़े-से सोने के लिए एक मनुष्य की हत्या कर डाली। यह घोर दुष्कर्म है।

विलास-और इसका दंड भी ऐसा होना

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